ग्रामीणों की मुख्यमंत्री से गुहार, रोड बंद होने से ग्रामीणों की हुई दुर्दशा देखने आएं
मुख्यमंत्री ने सितंबर माह में कहा था एक महीने में मिल जाएगा ग्रामीणों को रोड
एंटिक ट्रुथ | हिसार
पिछले 353 दिनों से धरने पर बैठे दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से गुहार लगाई है कि वे तलवंडी राणा रोड बंद हो जाने से ग्रामीणों की हुई दुर्दशा को जानने के लिए एक बार धरना स्थल पर जरूर आएं। मुख्यमंत्री बुधवार को लाला लाजपत राय युनिवर्सिटी का उद्घाटन करने आ रहे हैं जो धरने के काफी नजदीक है।
तलवंडी राणा रोड बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने बताया कि मुख्यमंत्री महोदय ने सितंबर माह में जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों से वादा किया था कि एक महीने में ग्रामीणों को रोड दे दिया जाएगा। इसके बाद ग्रामीणों ने एक महीने के लिए धरने पर अपनी कार्यवाही स्थगित कर दी थी लेकिन अभी तक ग्रामीणों को यह रोड बनाकर नहीं दिया गया है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से पूछा कि मात्र 6 कि.मी. के रोड के लिए उन्हें कितने दिन और धरने पर बैठे रहना पड़ेगा।
एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने बताया कि तलवंडी राणा रोड बंद हो जाने का सबसे अधिक असर शिक्षा पर पड़ा है। विशेष तौर पर छात्राओं को सबसे अधिक परेशानी हुई है पहले 5-7 कि.मी. की दूरी तय करके जो छात्राएं अपनी स्कूटी, साइकिल इत्यादि से अपने शिक्षण संस्थानों में चली जाती थीं उन्हें अब लगभग 23 किलोमीटर का सफर तय करके स्कूल कॉलेज पहुंचना पड़ रहा है। इससे उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है। यह रोड बंद हो जाने से तलवंडी राणा, बुगाना, धिकताना, बीड़ बबरान, जुगलान, बहबलपुर, धांसु आदि गांवों के ग्रामीणों के शिक्षा, रोजगार, रहन-सहन व स्वास्थय पर बुरा असर पड़ा है। वहीं इस रोड पर पडऩे वाले अनेक उद्योग, धंधे, व्यापार, दुकानें, बाजार ठप पड़े हैं और उनके व्यापार पर बहुत बुरा असर पड़ा है। अनेक लोगों के काम धंधे इस रोड के बंद हो जाने से छिन गए हैं।
कोहली ने कहा कि सरकार 2.2 कि.मी. का रोड तो बना रही है लेकिन एयरपोर्ट के विस्तार के साथ ही उन्हें फिर से ऐसी ही दिक्कत का सामना करना पड़ेगा जैसा कि अब करना पड़ रहा है। इसलिए ग्रामीणों को एयरपोर्ट की बाहरी दीवार के साथ-साथ लगभग 3 कि.मी. का रोड देकर इस स्थायी रोड को पूरा किया जाए जिससे ग्रामीणों के लिए आजीवन इस समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई कि ग्रामीणों की परेशानियों को देखते हुए उन्हें जल्द से जल्द से सडक़ का बाकी बचा लगभग 3 कि.मी. का हिस्सा बनाकर दिया जाए। उन्होंने बताया कि ठिठुरती हुई ठंड में भी भारी संख्या में ग्रामीण बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष, युवा बच्चे धरने पर डटे हुए हैं।