मुट्ठी बांधे जन्म लिया हाथ पसारे जाना है, इस धरा का, इस धरा पर सब धरा रह जाना है
अणुव्रत समिति और बजम ए अदब की योग और काव्य गोष्ठी आयोजित
एंटिक ट्रुथ | हिसार
अणुव्रत समिति हिसार और बज्म ए अदब के तत्वाधान में काव्य गोष्ठी अणुव्रत कार्यालय, पुरानी मंडी रोड पर आयोजित की गई। गोष्ठी में मंच संचालन जयभगवान लाडवाल ने किया तथा मुख्य अतिथि महाबीर प्रसाद जैन थे। अध्यक्षता राजेंद्र अग्रवाल ने की। इस अवसर पर राजेंद्र अग्रवाल ने काव्य रचना सुनाई कि ‘मुट्ठी बांधे जन्म लिया हाथ पसारे जाना है, इस धरा का, इस धरा पर सब धरा रह जाना है।’
जयभगवान लाडवाल ने सुनाया ‘कि ना सोना याद आता है ना चांदी याद आती है, जब भी आदमी पर मुसीबत आती है तो मां की याद आती है।’ ऋषि सक्सेना ने सुनाया ‘बंद करता हूँ, अपनी आंखों को जब जब आती है यादेँ वही पुरानी सुहानी।’ पी. पी. शर्मा ने सुनाया ‘जैसी संगति पाओगे , वैसे रास रचाओगे।’ ‘जैसा कर्म करोगे जग में, वैसा नाम कमाओगे।’ भीम सिंह हुडा ने सुनाया कि ࠾बदलते जमाने को जब मैं देखता हूँ, इसे क्या हो गया है मै सोचता हूं।’ विनोद जैन ने अणुव्रत गीत सुनाया ‘ संयम ही जीवन है, नैतिकता की सुर सरिता में जन मन पावन हो।’
दर्शन लाल शर्मा ने सुनाया ‘बदले युग की धारा, अणुव्रत के छोटे छोटे संकल्पों द्वारा।’ अनिल जैन ने कविता सुनाई। इस अवसर पर अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल, दर्शन लाल शर्मा, अनिल जैन, विनोद जैन, सहित अन्य गणमानय सदस्य उपस्थित थे।