अधिकारियों ने निकाला सी.एम. विंडो, जन संवाद का जनाजा, शिकायतों का बनाया जा रहा मजाक : अजीत ग्रोवर
एंटिक ट्रुथ | हिसार
फ्रेंड्स कालोनी निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट एवं व्हिसल ब्लोअर अजीत ग्रोवर ने कहा कि भाजपा सरकार वर्ष 2014 में आई और आम जनता की समस्याओं के विराकरण हेतु 15 दिसंबर 2014 को सी.एम. विंडो का ऑनलाइन पंजीकृत करने का प्रयोजन रखा गया। 17 अक्टूबर 2016 को कार्यरत कर्मचारियों की शिकायतों को विभागाध्यक्षों के माध्यम से व सेवा निवृत कर्मचारियों को शिकायतों वेतन विंगतियों, पदोन्नति, ऐरियर, स्थानांतरण व मेडिकल दावे आदि शामिल थे, को सी.एम. विंडो के मामध्यम से समाधान करने का निर्णय लिया गया। बाद में इसे आम जनता के लिए भी खोल दिया गया लेकिन अधिकारी सी.एम. विंडो का पलीता निकालने में लगे हुए हैं और शिकायतों का निपटान करने के लिए बजाय उनका मजाक बनाया जा रहा है।
अजीत ग्रोवर ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने हेतु सेवानिवृत अधिकारियों की एक टीम गठित की गई जो सचिवालय चंडीगढ़ में शिकायकर्ताओं से फीडबैक लेकर रिमांइडर जारी करती थी। यहां यह कहना उचित होगा कि जिन शिकायतों में प्रशासनिक अधिकारियों पर आंच आती दिखाई पड़ती है उन पर सेवानिवृत अधिकारी कोई टिप्पणी न देकर उनको अवसर की तलाश में रहकर मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों से अनुचित निर्णयों पर हस्ताक्षर करवाकर फाइल करवा देते हैं।
वहीं सरकार द्वारा चलाए गए जन संवाद कार्यक्रम के दौरान आमजन अपनी शिकायतें मुख्यमंत्री से साझा करते हैं व अधिकारियों को मौके पर उनकी समस्याओं का समाधान करने का निर्देश देते हैं। दिनांक 7 अप्रैल 2023 को जन संवाद पोर्टल लांच किया गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा 1 जून 2023 को सचिवों की ली गई रिव्यू मीटिंग में प्रशासनिक सचिवों को हर सप्ताह इसकी समीक्षा करने के आदेश दिए जा चुके हैं। हर शिकायत पर सुनवाई की हिदायत दी जा चुकी है और समस्या का हल निकालने तक शिकायतकर्ताओं को जानकारी देने के आदेश भी पारित किए जा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार ने 2016 में नया फरमान जारी करके जिन अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार फैलाया जा रहा था उनको एक उपहार दे दिया नतीजा यह हुआ कि सरकार की योजनाओं से जनता का मोह भंग होता गया। ज्ञात रहे कि सरकारी कर्मचारी अजीत ग्रोवर को विभाग ने बकाया राशि की अदायगी से रिश्वत नहीं देने पर नौकरी से निकाल दिया और उसने सरकार को सूचना के अधिकार के माध्यम से सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करते हुए दिनांक 05.02.2024 को अवगत करवाया जिसपर सुनवाई विभाग के प्रधान सचिव द्वारा 14.03.2024 को ली गई और आज दिनाक़ 21.05.2024तक भी विभाग अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव/मंत्री के कार्यालय में नही सौंप रहा है।