जिंदगी में कुछ अरमान बारिश की बूंदों की तरह होते हैं… जिन्हें छूने की चाहत में हथेलियां तो भीग जाती हैं मगर हाथ हमेशा खाली रह जाते हैं
कलम मंच की मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित
एंटिक ट्रुथ | हिसार
कलम मंच की मासिक काव्य गोष्ठी अणुव्रत कार्यालय, पुरानी मंडी रोड़ में आज वीरेंद्र कौशल की अध्यक्षता में आयोजित की गई। गोष्ठी में मंच संचालन संस्था के महासचिव जयभगवान लाडवाल ने किया तथा मुख्य अतिथि राजेन्द्र अग्रवाल थे। इस अवसर पर राजेंद्र अग्रवाल ने काव्य रचना सुनाई ‘जिंदगी में कुछ अरमान बारिश की बूंदों की तरह होते हैं जिन्हें छूने की चाहत में हथेलियाँ तो भीग जाती हैं मगर हाथ हमेशा खाली रह जाते हैं।’ जयभगवान लाडवाल ने सुनाया ‘ब्याह बुढ़ापे में किया ऐसी बीती रात! गहने ले पत्नी भागी और किसी के साथ! ऋषि सक्सेना ने सुनाया ‘हम को जाने किस बला ने देवता बना दिया, हमने कितने घर उजाड़ अब पता चलने लगा।’
नरेश पिंगल निर्गुण ने सुनाया ‘नजरें उठा के झुका रहे हो, बतलाओ ये क्या राज है? कहो तो बातें कर लें, अपने भी अच्छे मिजाज है।’ पी पी शर्मा ने सुनाया ‘मेरे देश का प्यार हो रहा, सरेआम नीलाम-देश का क्या होगा, भाई अपने सगे भाई का, कर रहा कत्लेआम- देश का क्या होगा’ भीम सिंह हुडा ने सुनाया ‘रूठों हुए को मनाना जिंदगी हे यारों, एक दूसरों को हँसाना जिन्दगी हे यारों।’ वीरेंद्र कौशल ने सुनाया कि ‘शर्मा कर बोली तू चल मैं आई, तेरे शहर में खूब बरस ली अब तलक, मेरे मोहल्ले मै एक बूंद न आई।’ अशोक कुमार बंधु ने सुनाया कि ‘पूंजी व्यवस्था बन चुकी है नासूर सरकारों की, नही करता फिक्र कोई गरीब किसान मजदूरों की।’ इस अवसर पर सुंदर सिंह किरतान सहित अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।