हिंदुस्तानी को तिरंगा हाथ में उठाए हुए 5151 दिन होने पर शहरवासियों से मिल रही बधाई
मामा के बेटे की शादी गंगानगर व बुआ के बेटे की शादी हिसार में तिरंगा लेकर आने से मना करने पर हिन्दुस्तानी व उनकी माता जी दोनों शादियों में नहीं गए
एंटिक ट्रुथ | हिसार
जागो मानव बनो इंसान संस्था के अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता गंगापुत्र राजेश हिंदुस्तानी को उनके निस्वार्थ जनहित कार्यों तथा तिरंगा हाथ में थामे 5151 दिन होने पर हिसार के गणमान्य लोगों ने बधाई व शुभकमनाएं दीं। शहर के लोगों ने उन्हें हिसार, हरियाणा व देश की शान बताया। उन्होंने कहा कि उनको हिंदुस्तानी पर गर्व है जो तिरंगे को 13 वर्ष यानि 5151 दिनों से हर दुख झेलते हुए हाथ में पूरे सम्मान कई घंटे रोजाना थामे प्रेरणा देते हैं। उन्होंने न केवल तिरंगे झंडे का सम्मान किया बल्कि लोगों को भी इसके प्रति जागरुक किया और सबके लिए प्रेरणास्त्रोत बने। इसके अलावा वे बगैर किसी राजनीति या पार्टी के लगातार समाजहित, जन जागृति, धार्मिक, आध्यात्मिक व जनहित आंदोलनों हमेशा आगे रहते हैं। वे 8 राज्यों हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़ में लंबे सफर में बसों, ट्रेनों 24 घंटे तक तिरंगे को थामे लोगों के प्रेरणा स्त्रोत बने तथा उन्हें जागरुक कर देश भक्तों के सपनों को पूरा करने का आह्वान करते रहे। राजेश हिन्दुस्तानी व उनकी माता जी अपने मामा के बेटे की शादी गंगानगर व बुआ के बेटे की शादी हिसार में तिरंगा लेकर आने से मना करने पर दोनों शादियों में नहीं गए।
उन्हें न केवल शहर के लोगों बल्कि शहर के कांग्रेस, बेजीपी व अन्य नेताओं ने भी तिरंगा हाथ में थामे 5151 दिन पूरे होने पर बधाई व शुभकामनाएं दी। उनका कहा है कि हिसार या देशहित कार्यों के लिए हमेशा उनका योगदान रहता है। तिरंगा 5151 दिनों से थामे रहने पर उन्होंने हिन्दुस्तानी को हिसार का गौरव बताकर उनकी प्रशंसा की व उनका स्वागत किया। युवाओं को हिन्दुस्तानी ने समाजहित में कार्य करने की प्रेरणा दी।
हिंदुस्तानी ने शहर में कई धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हुए भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाए व युवाओं में देशभक्ति का जोश भरा। इसके अलावा जनहित कार्यों में वे निरंतर लगे हुए हैं और लोगों की समस्याओं के प्रति आवाज उठाने में हमेशा आगे रहते हैं और 35 वर्ष से सोशल वर्कर हैं। मां गंगा देवी हिन्दुस्तानी जन सेवा मिशन कार्यालय रामपुरा मोहल्ला में लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उन्हें हल कराने की कोशिश करते हैं। सडक़ पर व इधर-उधर पड़े झंडे उठाकर वे अपने घर लेकर आते हैं। उन्होंने कभी किसी से कुछ नहीं लिया।