माननीय सुप्रीम कोर्ट मेंं भी निगम की हार, राजेश हिन्दुस्तानी की मदजूर दंपत्ति को मुआवजा दिलाने के हक में मिली कामयाबी
एंटिक ट्रुथ | हिसार
जागो मानव बनो इंसान संस्था के अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता गंगापुत्र राजेश हिंदुस्तानी ने बताया कि निगम मजदूर दंपत्ति को मुआवजा देने की बजाए रेलवे पर मामला बनता है कहकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो सुप्रीम कोर्ट ने उनका खारिज कर दिया और मजदूर दंपत्ति के हक में मुआवजा देने के आदेश दिए ये हिन्दुस्तानी के संघर्ष की बड़ी जीत हुई है।
हिन्दुस्तानी ने बताया कि मई, 2018 में रेलवे कालोनी सीवरेज में मजदूर टोनी उर्फ दीपक के बेटे डेढ़ साल के मासूम की जान गई तो राजेश हिन्दुस्तानी से मदद मांगने पर 4-5 दिन क्वार्टरों के आगे अड़े रहे। रेलवे अफसरों और ठेकेदारों द्वारा धमकी मिली कि रेलवे एक्ट के तहत बीकानेर में तारीख लगेगी जमानत नहीं होगी तो भी हिन्दुस्तानी ने धूप और गर्मी की परवाह किए बिना क्वार्टर खाली नहीं होने दिया और अड़े रहे 4000 रुपये जेई से भी मजदूर दंपत्ति दिलवाए और कमरा मिलने पर काफी दिनों बाद क्वार्टर खाली करवाया। बाद में हिन्दुस्तानी ने माननीय हाई कोर्ट की इंस्पेक्टिंग जज श्रीमती दया चौधरी के संज्ञान में लाए कि मैं सामाजिक कार्यकर्ता हूं और लोगों की मदद करता हूं सारे दस्तावेज उन्हें दिखाए और कहा कि इनकी सुनवाई और ऐेसे खुले मेन होल में हरियाणा में बारिश के दिनों में हादसे होकर लोगों की जानें जाती है इस पर रोक लगे। पत्र व रिकॉर्ड देकर मदद की गुहार लगाई व दंपत्ति को पेश किया। उन्होंने इस मामले को चीफ जस्टिस को दिया तो उसे गंगापुत्र राजेश हिन्दुस्तानी बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा जनहित याचिका मानकर चीफ जस्टिस ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया कि सभी मेनहाल कवर किए जाए ताकि हादसे ना हों। हिन्दुस्तानी को काफी फोन मेनहोन ढकने बारे में कई जगह से फोन आए।
हिन्दुस्तानी ने बाद में सीनियर वकील मुकेश राव के मार्फत इनकी लड़ाई लड़ते रहे और हाई कोर्ट जाते रहे। ये दंपत्ति भी निराश होकर हिन्दुस्तानी से दूर हो गया मिला तक नहीं। हाई कोर्ट ने दिसंबर 2023 में नगर निगम को मजदूर दंपत्ति को 7.5-7.5 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया तो हिन्दुस्तानी ने दंपत्ति को ढूंढा इसी दौरान नगर निगम सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और हिसार लोक अदालत की बात भी उन्होंने ना मानी तो अब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए मजदूर दंपत्ति के अकाउंट में फिक्स्ड डिपाजिट करवाने का आदेश दिया है तो निगम में मजदूर दंपत्ति को लेकर हिन्दुस्तानी गए और मजदूर दंपत्ति के अकाउंट व अन्य दस्तावेज सौंपे हैं जिससे उनको उनका हक दिलाया जा सके। हिन्दुस्तानी ने उनसे कुछ ना लिया बल्कि उनकी खर्चों में भी मदद की। ये गरीब लोगों के हक में हिन्दुस्तानी द्वारा बड़े संघर्ष की जीत है जिन्हें वे जानते तक न थे।