चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को ‘ए प्लस’ ग्रेड मिलने पर एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी नॉन टीचिंग स्टाफ एसोसिएशन व अन्य युनियनों ने दी कुलपति को बधाई
एंटिक ट्रुथ | हिसार
चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को ‘ए प्लस’ ग्रेड मिलने पर एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी नॉन टीचिंग स्टाफ एसोसिएशन चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने कुलपति प्रो. बी.आर. कंबोज को बधाई दी। आज एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी नॉन टीचिंग स्टाफ एसोसिएशन एक शिष्टमंडल प्रधान सुनील कुमार व महासचिव राजकुमार गंगवानी की अध्यक्षता में कुलपति प्रो. बी.आर. कांबोज से मिला चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रत्यापन बोर्ड नैब की ओर से ‘ए प्लस’ ग्रेड दिए जाने पर तथा इससे पूर्व विश्वविद्यालय के पास ‘ए प्लस’ ग्रेड की नॉन टीचिंग स्टाफ एसोसिएशन की तरफ से चौ. च.सिं.ह.कृ.वि. के कुलपति बी.आर. कंबोज को बधाई दी।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि विश्वविद्यालय का ओवर ऑल गे्रड ‘ए प्लस’ हो गया है। ‘ए प्लस’ नैब की सर्वश्रेष्ठ ग्रेडिंग होती है। एच.ए.यू. के विभिन्न महाविद्यालयों एवं उनमें चल रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों को भी पांच साल की मान्यता प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त कृषि महाविद्यालय बावल को भी पहली बार मान्यता प्रदान की गई है। विश्वविद्यालय ने ग्रेडिंग के 4:00 से 3:52 अंक प्राप्त कर यह कामयाबी हासिल की है। विश्वविद्यालय को बुलंदियों पर पहुंचाने में शिक्षकों व गैर शिक्षकों के अलावा प्रो. बी.आर. कांबोज कुलपति व डॉ. बलवान सिंह मंडल कुल सचिव की अहम भूमिका रही है।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को ‘ए प्लस’ ग्रेड के साथ आगामी पांच वर्ष यानि 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2028 के लिए भी आई.सी.ए.आर. ने मान्यता प्रदान की है। एच.ए.यू. के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों से संबंधित कोर्सेज कराए जाते हैं। इनमें यूजी के 7 पी.जी. के 47, पी.एच.डी. के 42 कोर्सेज शामिल हैं। विश्वविद्यालय की ओर से ई-ट्रैक्टर बनाया गया है। जो परिचयलन लागत को कम करता है और हरित ऊर्जा उपयोग की दिशा में उठाए गए कदम को दर्शाता है। गोकलपुरा गांव में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा 63 एकड़ भूमि पर पोषक अनाज अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है। यह केंद्र वरानी क्षेत्रों के किसानों के लिए मोटे अनाज की फसलों की उन्नत प्रौद्योगिकी विकसित करेगा। ब्रीडिंग और माइक्रो मैट्रोलॉजी लैब की स्थापना की गई है जिसमें फसलों की नई किस्म को जारी करने के लिए 3 से 4 साल का समय लगेगा जोकि पहले 10 से 12 वर्ष लगता था विश्वविद्यायल को 6 पेटेंट, 11 कॉपीराइट व 11 डिजाइन सहित कुल 20 बौद्धिक संपदा अधिकार मिले हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुल 580 द्विपक्षीय समझौते किए हैं। विश्वविद्यालय का आज अंतर्राष्ट्रीय पटल डंका बजरहा है। उसका श्रेय प्रो. बी. आर. कंबोज चौ. च.सि.ह.कृ.वि. हिसार को जाता है।
शिष्टमंडल शामिल प्रधान व महासचिव के अलावा स.व. उप प्रधान जोगिन्द्र, उपप्रधन मोहिन्द्र खुराना, सह सचिव आशीष शर्मा, प्रेससचिव सुरेंद्र राणा, कार्यालय सचिव वीरपाल, कैशियर रामप्रताप, ऑडिटर सुनील पंडित, सदस्य ओमप्रकाश, व एस.सी. एस.टी, एम्प्लायॅज फैडरेशन सीसीएस एचएयू के महासचिव नवीन सभ्रवाल, सफाई कर्मचारी यूनियन सीसीएस एचएयू के प्रधान कालू राम, महासचिव चन्द्रबोस, कैलाश जैदिया, छत्रपाल अठवाल, बंटी, एससी, एसटी फैडरेशन के प्रधान मनोज व डा. राजेंद्र, राजेश परुथी, अनिल भनोट आदि उपस्थित रहे।