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ईद आपसी भाईचारे, सदभावना और प्यार का प्रतीक है : शेख सीराजुद्दीन

एंटिक ट्रुथ | हिसार

कैमरी रोड पर नमाजे ईद-उल-अजहा जिसको कुर्बानी की ईद भी कहा जाता है अदा की गई जिसमें भारी संख्या में अहमदिया मुसलमानों  ने शिरकत की और नमाज पढ़ी। नमाज प्रचार प्रमुख शेख सिराजुद्दीन ने पढ़ाई। नमाज के बाद अपने अभिभाषण में उन्होंने ईद-उल-अजहा की व्याख्या और विशेषता का जिक्र करते हुए कहा कि ईद मुस्लमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। जिसको बकरीद या कुर्बानी की ईद के नाम से भी जाना जाता है। ईद-उल-अजहा से सीख मिलती है कि कठिन परिस्थिति में भी हक पर डटे रहना चाहिए। हक को आम करने की कोशिश करते रहना चाहिए। कुर्बानी का अर्थ है अपने परमेश्वर की निकटता प्राप्त करना। ईद आपसी भाईचारे, सदभावना और प्यार का प्रतीक है। हर धर्म में कुर्बानी का तरीका किसी न किसी रुप में मौजूद  है। इस ईद में वह लोग जिनके पास कुर्बानी करने के लिए धन है वह अल्लाह के मार्ग में कुर्बानी करते हैं और गरीब भाईयों को भी खुशी के अवसर पर खुशी पहुंचाने की कोशिश करते हैं, जो कि ईद का मकसद भी है।
उन्होंने बताया कि इस दिन पूरे विश्व से लाखों मुस्लमान खाना-ए-काबा जो सऊदी अरब के शहर मक्का में है हज करते हैं और अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं। ईद के दिन सारी दुनिया में मुसलमान मिलकर नमाज पढ़ते हैं फिर कुर्बानी करते हैं। इस ईद में हजरत इब्राहिम आलेही सल्लम की कुर्बानी को याद किया जाता है जो कि अल्लाह  के कहने पर अपने प्यारे बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। उसी तरह हम मुसलमान अल्लाह के रास्ते में बड़ी से बड़ी कुर्बानी के लिए हरदम तैयार रहेंगे।
इसके बाद दुआ की गई और विश्व शांति की कामना की गई। उपरांत सब लोगों ने एक दूसरे के गले मिलकर ईद की बधाईयां दी। इस मौके पर औरतों के नमाज पढऩे का विशेष प्रबंध किया गया था। इस अवसर पर मजीद खान, हबीब खान, अली मोहम्मद, राजेश खान, रफीक खान, सोनू खान इत्यादि मौजूद थे।

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