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1987 के दंगों को लेकर हरियाणा सरकार के गृह विभाग की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं, आयोग के समक्ष पेश होकर उठाएंगे न्याय की आवाज : सुखसागर सिंह  

जिनके घर, दुकान जले सब कुछ लुट गया उन्हें मात्र 2000 रुपये का मुआवजा रेड क्रॉस की ओर से दिया गया जो कि अपर्याप्त

एंटिक ट्रुथ | हिसार

गुरुद्वारा श्री सिंह सभा, नागोरी गेट, हिसार का पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान में हरियाणा सरकार द्वारा गठित हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य डाबड़ा चौक निवासी स. सुखसागर द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग भारत सरकार के समक्ष अक्टूबर, 2023 में लगाई गई याचिका में आयोग के अनुसंधान अधिकारी ने गृह विभाग हरियाणा की रिपोर्ट साथ लगाकर भेजी है। आयोग के अनुसंधान अधिकारी ने गृह विभाग हरियाणा की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होने की दशा में 21 दिन में केंद्रीय अल्पसंख्य आयोग को रिपोर्ट देने की बात लिखी है। यह जानकारी स. सुखसागर ने एक निजी रेस्तरां में जारी प्रेस वार्ता में पत्रकारों के समक्ष दी। उन्होंने बताया कि वे अपर मुख्य सचिव गृह विभाग हरियाणा की रिपोर्ट से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि जिस मुख्य मांग कि 1987 के दंगों को सरकार दंगा माने उसे ही रिपोर्ट में नजरअंदाज किया गया उसे ही गृह विभाग ने नजरअंदाज कर दिया और इतने बड़े स्तर पर हुई हिंसा को मात्र छिट-पुट घटना मान लिया गया। वहीं गृह विभाग हरियाणा ने आयोग को केवल हिसार में हुई हिंसा से संबंधित जानकारी की भेजी है जबकि हमने आयोग के समक्ष पूरे प्रदेश में हुए दंगों की जांच करवाने संबंधी याचिका दायर की थी। अपर मुख्य सचिव गृह विभाग हरियाणा की यह जिम्मेवारी बनती थी कि वे हिसार शहर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में जहां भी हिंसा हुई उसकी विस्तृत व जानकारी आयोग के समक्ष पेश करते।
स. सुखसागर ने बताया कि रिपोर्ट के साथ गृह विभाग द्वारा हिसार के 229 दंगा पीडि़तों को 2000-2000 रुपये मुआवजा दिए जाने की लिस्ट भी रिपोर्ट के साथ चस्पा की गई है जिससे साबित होता है कि कितने बड़े स्तर पर लोग 1987 के दंगों का शिकार हुए थे। इसमें से सैकड़ों लोगों के तो नाम ही शामिल नहीं हैं। दंगे का शिकार हुए लोग जिनके घर, दुकान सब लूट लिए गए व जला दिए गए उन्हें मात्र 2000 रुपये का मुआवजा देकर सरकार ने औपचारिकता पूरी कर ली और इसे दंगा माना ही नहीं गया। गृह विभाग की रिपोर्ट में केवल हिसार को ही हिंसा ग्रस्त माना गया है और यहीं से संबंधित रिपोर्ट दी गई है जबकि हरियाणा के कई हिस्सों में हिंसा, आगजनी व हत्याएं हुई थी और सिख समुदाय के लोग इसका शिकार हुए थे।
सरदार सुखसागर ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए बताया कि गृह विभाग ने अलग-अलग थानों में दर्ज मुकदजे में हुए नुकसान संबंधी पत्र भी साथ में अटैच करके भेजे हैं जो यह साबित करता है कि सिख समुदाय के लोगों का इन दंगों में जान-माल का व्यापक नुकसान हुआ है। जिसमें केवल चोरी इत्यादि की बहुत ही कमजोर धाराएं लगाई हैं। इसमें या तो आरोपियों को गिरफ्तार ही नहीं किया गया और जो आरोपी गिरफ्तार किए गए थे उन्हें छोड़ दिया गया। जब केवल हिसार शहर प्रशासन खुद बड़े स्तर पर हिंसा होना मान रहा है तो प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी भारी हिंसा व लूटपाट की घटनाएं हुई थी। उनके बारे में अपर मुख्य सचिव गृह विभाग हरियाणा ने कोई जिक्र तक नहीं किया। सरदार सुखसागर ने बताया अपर मुख्य सचिव गृह विभाग हरियाणा ने जो तथ्य पहले से मौजूद थे उन्हीं को आयोग के सामने रख दिया जबकि हमने जिस बात का जिक्र किया व उजागर किया उनकी रिपोर्ट में कहीं कोई बात नहीं। सरदार सुखसागर ने बताया कि वे इस संबंध में पुन: अपना पक्ष राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग भारत सरकार के समक्ष रखेंगे और अपर मुख्य सचिव गृह विभाग हरियाणा द्वारा हमारी बातों/मांगों की अनदेखी व की गई खानापूर्ति से अवगत करवाएंगे।
उन्होंने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग भारत सरकार के समक्ष वर्ष 1987 में हुए दंगों के दौरान हिसार, फतेहाबाद व अन्य जिलों में सिख समुदाय पर हुई आगजनी, हत्या व लूटपाट की घटनाओं के लिए अक्टूबर 2023 में पुनर्विचार याचिका लगाई थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि तत्तकालीन सरकार ने इतने बड़े पैमाने पर सिखों के साथ हुए अन्याय व भारी हिंसा के बावजूद इन्हें दंगा ही घोषित नहीं किया और इसे एक सामान्य घटना के रूप में लिया गया जो कि सिखों के साथ अन्याय है।
सरदार सुखसागर सिंह ने बताया कि वर्ष 1987 में हरियाणा की कई जगहों पर अचानक दंगे हुए यह सभी को मालूम है, जिसके परिणामस्वरूप सिख धर्म में आस्था रखने वाले कई लोगों की मौत हुई और उनकी संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ। सरदार सुखसार ने बताया कि इन दंगों में हिसार शहर में सिख समुदाय की अनेक संस्थाओं व उनके घरों को नुकसान पहुंचाया गया व लूटपाट कर हत्याएं की गईं। हालांकि शहर हिसार और आस-पास के इलाकों में भारी दंगा हुआ था लेकिन पुलिस, प्रशासन व सरकार ने इन्हें दंगा न मानते हुए पीडि़तों को न ही तो कोई मुआवजा दिया गया और न ही उन्हें पूरा न्याय मिल पाया। इसी को लेकर उन्होंने राष्ट्रीय अल्प संख्यक आयोग के समक्ष याचिका लगाई थी जिसका अब जवाब आया है। अब वे पुन: आयोग के समक्ष अपन पक्ष रखेंगे।
सरदार सुखसागर ने पुन: अपनी मांग दोहराई कि सरकार 1987 के दंगों को दंगा मानते हुए और दंगों के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इसके सभी मामलों में पुनविर्चार कर इस मामले की विस्तृत जांच कराए और जो व्यक्ति दंगों के लिए जिम्मेदार पाए जाएं उनके साथ कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाए। इसके अतिरिक्त पीडि़तों के प्रत्येक परिवार को पर्याप्त मुआवजा आदि देने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाए ताकि पीडि़तों को न्याय मिल सके। इसके अलावा कोई अन्य राहत जिसे सरकार उचित समझे वह भी प्रदान कर सकती है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में वे पहले भी तत्कालीन एसएसपी हिसार अशविंद्र सिंह चावला सहित अन्य अधिकारियों के समक्ष 1987 के दंगा पीडि़तों को न्याय दिए जाने की मांग उठा चुके हैं। प्रेस कांफ्रेंस में सरदार सुखसागर सिंह के अलावा अन्य कई लोग मौजूद रहे।
प्रेस कांफ्रेंस में सरदार सुखसागर सिंह के अलावा सरदार तेज सिंह, सरदार सुखजीत सिंह, सरदार कवंरदीप सिंह, स. मनेन्द्र सिंह, स. जसतवंत सिंह, स. दीपक सिंह आदि मौजूद थे।

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