शहर में बढ़ रही पशुओं की भरमार को देखकर हिसार शहर का नाम नेशनल जू पार्क रखे शासन-प्रशासन : जितेंद्र श्योराण
शहर में जहां-जहां जलभराव है वहां पर मगरमच्छ व मछली छोडक़र उन जगहों को आकर्षण का केंद्र बना सकता है प्रशासन
एंटिक ट्रुथ | हिसार
पिछले दिनों से लगातार शहर में सडक़ों, गलियों में पशुओं की भरमार है। शहर की सडक़ों पर बेसहारा गाय, घोड़े, खच्चर, सूअर, बंदर, कुत्ते आदि की भरमार है। कुछ दिन पहले ऋषि नगर में तेंदुआ भी घुस गया था। इसे देखते हुए शासन-प्रशासन को जन्माष्टमी के पावन अवसर पर हिसार शहर का नाम नेशनल जू पार्क रख देना चाहिए। इसके साथ शहर में जहां-जहां खाली प्लाट व अन्य स्थानों पर जलभराव है उसमें मगरमच्छ, मछलियां इत्यादि छोडक़र उसे भी आकर्षण का केंद्र बना देना चाहिए। यह बात हिसार संघर्ष समिति के अध्यक्ष जितेंद्र श्योराण ने शहर में बढ़ रही बेसहारा पशुओं की तादात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। उन्होंने कहा कि शहर में बेसहारा गऊ माता, घोड़े, खच्चर, बंदर आदि की इतनी भरमार हो गई है कि शहरवासियों का गलियों से गुजरना दूभर हो गया है।
श्योराण ने कहा कि शहर के उन नेताओं को शर्म आनी चाहिए जो बार-बार शहर को कैटल फ्री करने की बात कहते आ रहे हैं लेकिन पिछले 10 वर्षों में उनसे यह समस्या दूर नहीं हुई बल्कि अब तो शहर के हालात गांवों व कस्बों जैसे हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमने अनेक बार शहर को पशु मुक्त करने के लिए प्रशासन का सहयोग करने की कोशिश की और बेसहारा गायों को कम्युनिटी सेंटर में इकट्ठा कर निगम को सूचित किया लेकिन उसके बाद भी निगम शहर को पशु मुक्त नहीं कर पाया और नाकाम रहा। गौअभ्यारण्य में गायों की दुर्दशा व प्रशासन की बदइंतजामी को देखकर हमने गायों को पकडऩे का अभियान रोक दिया। आज हालात यह है कि सडक़ों पर बेसहारा गौवंश के झुंड के झुंड घुमते रहते हैं जिससे किसी भी बड़ी दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। अनेक लोग इसका शिकार होकर अपनी जान भी गंवा चुके हैं। जितेंद्र श्योराण ने कहा कि अब हिसार संघर्ष समिति अपने स्तर पर रोजाना शहर की किसी एक मुख्य सडक़ को बेसहारा पशु मुक्त करने का प्रयास करेगी। इसके साथ जितेंद्र श्योराण ने हिसार प्रशासन से मांग उठाई कि या तो प्रशासन हिसार का नाम नेशनल जू पार्क रख दे या फिर शहर को बेसहारा पशु मुक्त कर शहरवासियों को राहत प्रदान करे।