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सरकार की सरसों से किसान व आढ़ती दोनों ही परेशान : हरपाल सिंह बूरा

एंटिक ट्रुथ | हिसार

कांग्रेस नेता एवं हरियाणा टैक्स ट्रिब्यूनल के पूर्व न्यायिक सदस्य हरपाल सिंह बूरा ने कहा कि भाजपा सरकार की सरसों खरीद से किसान व आढ़ती दोनों ही परेशान हैं। हरियाणा सरकार के अनुमान के अनुसार इस बार सरसों की फसल 14.28 लाख टन मंडियों में आनी है। मगर केन्द्र सरकार ने सिर्फ 3.25 लाख टन सरसों खरीदने की मंजूरी दी है। इससे सिद्ध होता है कि सरकार केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 22 प्रतिशत ही सरसों खरीदेगी। सरसों की एमएसपी 5650 रुपये घोषित की है। बाकी फसल न खरीदने से किसान अपनी फसल 4500 से 5000 रू प्रति क्विंटल तक बेचकर 650 से 1000 रुपये तक का नुकसान उठा रहे हैं। अभी भी सरसों प्राईवेट एजेंसियों द्वारा भी खरीदी जा रही है। दूसरा सरकार अब नहीं हमेशा ही सरसों व गेहूँ की खरीद लेट शुरू करती है फिर नमी बता कर मानकों पर खरा नहीं उतरने की शर्तें लगाकर किसान को प्राईवेट एजेंसियों के हाथों औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर कर दिया जाता है।
बूरा ने कहा कि दूसरी तरफ आढ़तियों को भी रुलाया जा रहा है। सरकार सरसों व कपास की फसल सीधे हैफेड व काटन कारपोरेशन आफ इंडिया के माध्यम से खरीद करती है। जिससे आढ़ती का कोई कमीशन नहीं बनता ऊपर से आढ़त भी घटा दी गई है। इससे साफ पता चल रहा है कि किसान के साथ-साथ आढ़ती भी परेशान हैं।
हरपाल बूरा ने कहा कि सरकार को किसान को राहत देने के लिए एम एस पी तय करने के लिए स्वामीनाथन की रिर्पाेट  सी2+50 प्रतिशत लागत जोड़ कर एम एस पी ए  तय करना चाहिए। सरकार अन्नदाता के साथ खिलवाड़ कर रही है। एमएसपी ए2 एफ एल के तहत एमएसपी तय कर रही है जिसमें किसान को जमीन की लागत, उसका पारिश्रमिक, बीज, खाद, दवाई, कृषि यंत्रों का खर्च नहीं जोड़ा जाता। यही किसान मांग कर रहा है। केन्द्र सरकार ने तीन काले कानूनों को वापिस लेते वक्त किसानों से वायदा किया था कि एम एस पी कमेटी बनेगी परन्तु आज तक उसका कोई परिणाम नहीं आया। इसलिए किसान आंदोलनरत है। सरकार को चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। सरकार को अब भी समय रहते आढ़तियों व किसानों को राहत देकर न्याय करना चाहिए।

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