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इंसानों में लुप्त होती इंसानियत.. वैध कौशल

लुप्त होती मानवता हमारे लिए शुभ संकेत नहीं है।

एंटिक ट्रुथ | चंडीगढ़

आज के समय में लोग आत्म-विकास में इतने व्यस्त हैं कि वे दूसरे लोगों पर धौंस जमाने के लिए भी तैयार रहते हैं और अक्सर अपने आस-पास के कई लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं।

आज अगर कोई अपना काम पूरा करना चाहता है या कुछ हासिल करना चाहता है तो वह दूसरों की राय को महत्व नहीं देता।

लोग किसी ऐसे व्यक्ति को देखकर भी चले जाते हैं जिसे मदद की ज़रूरत है या जो मदद मांग रहा है।

आज हम जरूरतमंद लोगों को ऐसे नजरअंदाज कर रहे हैं जैसे उनका हमारे आसपास कोई पर अस्तित्व ही न हो।

फिर भी, कुछ लोग दूसरों की या जिसे मदद की ज़रूरत है उसकी मदद करने में विश्वास करते हैं।

वर्तमान परिदृश्य को देखकर ऐसा लगता है जैसे मानवता ख़त्म होती जा रही है,
जैसे लोगों को पता ही नहीं चल रहा है कि उनके आसपास क्या हो रहा है।

आजकल यह जानने के बाद भी कि उनसे कुछ ही कदम की दूरी पर कुछ हुआ है, फिर भी वे यह जानने की जहमत नहीं उठाते कि क्या हुआ या क्या वे पीड़ित/पीड़ितों के लिए कुछ कर सकते हैं।

पिछले कुछ दिनों में, ऐसी कई दुर्घटनाएँ देखी गई हैं और यह भी देखा गया है कि कैसे लोग घटना को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं और वहाँ से चले जा रहे हैं,
मुश्किल से एक या दो लोग जाते हैं और देखते हैं कि पीड़ित के साथ क्या हुआ और एम्बुलेंस और पुलिस के लिए हेल्पलाइन पर कॉल करते हैं।

यह सच है कि हर किसी के जीवन में कोई न कोई समस्या जरूर है और हर कोई जो चाहता है उसे हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है और उसके लिए कड़ी मेहनत भी कर रहा है।

लेकिन इस संघर्ष के समय में अगर मैं किसी की मदद कर सकता हूं या आप किसी की मदद कर सकते हैं तो आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए।

लुप्त होती मानवता हमारे लिए शुभ संकेत नहीं है।

अगर इंसानियत खत्म हो जाएगी तो हर तरफ सन्नाटा हो जाएगा जबकि कोई भी अपने बगल में बैठे व्यक्ति से बात नहीं कर रहा होगा और लोग किसी से मदद मांगने में झिझकेंगे।

आज भी लोग पते के लिए या अपने खोए हुए प्रियजनों की तलाश में सड़क के किनारे चलकर भी मदद मांगते हैं।
लेकिन अगर हालात ऐसे ही रहे तो इंसानियत खत्म होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

आज इंसान दूसरे इंसानों से डरता है, उनसे ईर्ष्या करता है कि उन्हें उनसे ज्यादा सफलता नहीं मिलती और वे किसी की मदद करने के लिए अपने कदम पीछे खींच लेते हैं या मदद नहीं करना चाहते, भले ही वे उनकी मदद करने में सक्षम क्यों ना हों।

लेकिन हम यह क्यों भूल रहे हैं कि अगर आज हम किसी की मदद करेंगे तो हमें मदद तब ही मिलेगी जब हमको उसी व्यक्ति से नहीं बल्कि शायद किसी और व्यक्ति से मदद मिलेगी ।

दुनिया गोल है और हम सभी जानते हैं कि जो कुछ भी घूमता है वह उसी तरह या किसी अन्य तरीके से हमारे पास आता है।

इसलिए दयालु बनें, मानवता का सम्मान करें।
जरूरतमंदों की मदद करें और आने वाली पीढ़ी के लिए उदाहरण पेश करें कि मानवता क्या है?
बजाय इसके कि इंसानियत ख़त्म हो जाए।

सामाजिक बनें, दयालु बनें, आसपास ज्ञान, ख़ुशी, प्यार, आनंद, हँसी बाँटें और सबसे बड़ी यही उम्मीद रहेगी।

अब नियमित रूप से हरियाणा के प्रख्यात और स्थापित प्राकृतिक चिकित्सा वैद्य के. कौशल के रचनात्मक लेख और चिकित्सा परामर्श आदि हमारे अवेतनिक सीनियर जर्नलिस्ट आर के विक्रमा शर्मा के माध्यम से हमारे लाखों शुद्धि पाठकों हेतु प्रस्तुत किए जाएंगे। यह चिकित्सा परामर्श सभी पाठकों के लिए अनुकरणीय व संग्रहणीय रहेंगे।

 आरके विक्रमा शर्मा

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