जानलेवा साबित हो सकता है सेप्सिस, जागरूकता है जरूरी : डॉ. ऋतु
जिन्दल अस्पताल में आईएससीसीएम हिसार सोसाइटी ने सेप्सिस पर किया जन जागरुकता कार्यक्रम
एंटिक हैल्थ | हिसार
इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन हिसार सोसाइटी द्वारा बुधवार को जिन्दल अस्पताल मॉडल टाउन हिसार में सेप्सिस पर जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिन्दल अस्पताल के एनेस्थिसिया विभाग की डॉ. ऋतु ने बताया कि सेप्सिस एक ऐसी बीमारी है जो कई बार जानलेवा तक साबित हुई है। यही वजह है कि इस बीमारी के प्रति हम जागरुकता फैला कर इस बीमारी को काबू कर सकते है।
डॉ. ऋतु ने सेप्सिस बीमारी के बारे में बताया कि यह एक जानलेवा मेडिकल इमरजेंसी है, जिसकी वजह से शरीर में जल्दी-जल्दी इन्फेक्शन होने लगता है। यह बीमारी तब विकसित होती है, जब शरीर में मौजूद इन्फेक्शन प्रतिरक्षा प्रणाली को काफी ज्यादा सक्रिय कर देता है। तुरंत इलाज न मिलने पर इसकी वजह से टिश्यू डैमेज, ऑर्गन फेल और मौत तक हो सकती है।
आमतौर पर सेप्सिस बैक्टीरिया की वजह से होता है। हालांकि, यह फंगल, पैरासाइट और वायरल संक्रमण के कारण भी हो सकता है। इसकी वजह से बुखार, दिल की धडक़न तेज होना, सांस लेने में परेशानी आदि हो सकते हैं।
उन्होंने सेप्सिस की बीमारी से बचाव के लिए सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचने के लिए बार-बार साबुन और पानी से अपने हाथों को धोते रहें। किसी भी तरह की चोट और अन्य घावों को साफ रखें। घाव या चोट को ठीक होने तक ढककर रखें। किसी पुरानी बीमारी पर नजर रखने के लिए नियमित रूप से चेकअप कराते रहें।
चिकित्सकों द्वारा सेप्सिस और सेप्सिस से बचने की जानकारी साझा की गई। कार्यक्रम में मेडिकल डायरेक्टर डॉ. शेखर सिन्हा, डा ऋतु चोपड़ा, डॉ. कमल किशोर, डॉ. नीरज नागर, डॉ. सोनू खुराना, डॉ. वरुण गुप्ता ने सेप्सिस के क्या लक्षण होते हैं एवं उनकी पहचान कैसे की जाती है इस विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा कर लोगों को जागरूक किया।
इस कार्यक्रम में लगभग 70 से अधिक मरीज के परिजनों को सेप्सिस से जुड़ी जानकारी दी गई एवं उनके सेप्सिस से जुड़े सवालों का चिकित्सकों द्वारा जवाब भी दिया गया। चिकित्सकों ने बताया कि पूरी दुनिया में सेप्सिस मृत्यु दर का दूसरा प्रमुख कारण है। जन जागरूकता कार्यक्रम में आईएससीसीएम हिसार सोसाइटी, जिन्दल अस्पताल के हेल्थ वर्कर्स मौजूद रहे।