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श्रीमद् भगवद् गीता जयंती: अध्यात्मिक समर्पण और मार्गदर्शन का उत्कृष्ट पर्व

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है"गीता जयंती"

एंटिक ट्रुथ (ट्राई सिटी चंडीगढ़)

राधे राधे जय श्री कृष्णा भारतवासियों और चंडीगढ़ वासियों और चराचर भौतिक जगत वासियों विशेष कर सनातन धर्म में विश्वास आस्था श्रद्धा वानों के लिए आज बहुत ही प्रसन्नता और गौरव मय बेला है कि आज श्रीमद् भागवत गीता जयंती है आप सबको इस पावन पुनीत मोक्षदाई सर्वोपरि सर्वो श्रेष्ठ सर्वोत्तम ज्ञान रूपी गंगा के उद्गम, जन्म, अवतार कुछ भी कहिए के सुअवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं हैं।

यहां अपने अल्प ज्ञान के कारण सभी बुद्धिजीवियों से धर्म प्रेमियों से क्षमा चाहूंगा की मद्भागवत गीता की जयंती नहीं हो सकती। जयंती का अर्थ जन्म और अंत है। लेकिन भागवत गीता तो सृष्टि के जन्म से ही विद्यमान है चराचर जगत् पिता परमेश्वर भगवान श्री कृष्ण महाराज भगवान श्री राम भगवान श्री विष्णु महाराज भगवान शिव यह नाना प्रकार के अवतार गीता की व्याख्या और उसकी स्थापना के लिए ही हुए हैं।

गीता का जन्म और गीता का अंत बिल्कुल वैसे ही रहस्यमय है जैसे सृष्टि के उद्गम का रहस्य है। जब भी हमारे जीवन में किसी नए आदर्श का, मर्यादा का व गुण का प्रवेश होता है, तो जीवन में श्रीमद् भागवत गीता का प्रकाश होता है। इस विषय में हम जल्दी ही गीता जयंती के बारे में धर्म आचार्याओं से महामंडलेश्वरों से भी संपर्क साधेंगे कि गीता जयंती शब्द का प्रयोग न होकर यथोचित शब्द का प्रयोग होना चाहिए।।

अगर आपके पास भी किसी प्रकार का सुझाव है, आधार लिए हुए तर्क है, या उपयुक्त शब्द है तो जरूर सुझाव दें। और अगर हमारी यह सोच किसी प्रकार से भ्रमित या दुषित है। तो क्षमा याचक हैं । उस परिस्थिति में भी आप हमारा मार्गदर्शन करें। क्योंकि हमारा धर्म ही एक दूसरे का मार्गदर्शन करना है। एक दूसरे के जीवन को संवारना है। स्वार्थी ना होकर परोपकारी होना है।

आप सभी को श्रीमद् भागवत गीता का ज्ञानमयी मोक्षदाई प्रकाश श्वास श्वास उपलब्ध रहे। इसी भागीरथी मनोकामना के साथ आपका अपना स्नेही जन और भगवान श्री कृष्ण जी महाराज की चराचर सृष्टि का एक धूलकण

आरके विक्रमा शर्मा

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