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काम में जी न लगे, दिनभर नींद आए बदलते मौसम में मन रह सकता है उदास

ये विंटर डिप्रेशन तो नहीं

“विंटर डिप्रेशन”

एक शब्द है जो आमतौर पर ठंडी सीजन, जो की विंटर हो सकता है, में आने वाले उत्साह और सकारात्मक भावनाओं की कमी को दर्शाने के लिए इस्तेमाल होता है। यह व्यक्तियों को सुस्त, उदास और कमजोर महसूस करने की अवस्था हो सकती है।

विंटर डिप्रेशन का कारण विभिन्न हो सकता है, जैसे की:

  1. रौंगतें और प्रकृति से दूरी: ठंडे मौसम में लोग अधिकतर घरों में बने रहते हैं और सूर्य की कमी के कारण विटामिन डी की कमी हो सकती है, जो मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
  2. कम रोशनी: ठंडे मौसम में दिन की छोटी आवधि और ज्यादातर समय बर्फ के बारिश के कारण धूप की कमी हो सकती है, जिससे विंटर डिप्रेशन हो सकता है।
  3. छुट्टियों या समय की कमी: कुछ लोग ठंडी सीजन में अधिक काम करने के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक थकान और तनाव हो सकता है।
  4. समयप्रबंधन की कमी: विंटर सीजन में समय का सही तरीके से प्रबंधन करना मुश्किल हो सकता है, जो मानसिक तनाव का कारण बन सकता है।

 कहते हैं कि हमारी नींद और सजग रहने पर लाइट का ही सबसे ज्यादा असर पड़ता है। सुबह उठ कर हम सूरज की रोशनी देखते हैं या नहीं इससे रात में हमारी नींद पर भी असर पड़ता है।

दरअसल हमारे शरीर की हर कोशिका को टाइम की जानकारी चाहिए, ताकि वो दिन और रात के हिसाब से सही ढंग से काम कर सकें। हमारे मुंह के ऊपरी हिस्से में खास तरह के न्यूरॉन्स होते हैं जिन्हें सुप्राकायस्मैटिक न्यूक्लियस कहते हैं। और ये हमारे शरीर में घड़ी की तरह दूसरी कोशिकाओं को दिन और रात के बारे में बताते हैं।

चूंकि हमारे दिमाग तक लाइट सीधे नहीं पहुंच सकती। इसलिए हमारी आंखों के पीछे के हिस्से में खास तरह की सेल्स होती हैं जिन्हें मेलेनॉप्सिन गैंगलियोन सेल्स कहते हैं। ये खास तरह की कोशिकाएं लाइट सेंसिटिव होती हैं और दिमाग को दिन और रात के बारे में बताती हैं।

इसलिए सुबह की रोशनी दिमाग के जागने और अलर्ट रहने के लिए बहुत जरूरी है। यहां तक कि जो लोग देख नहीं सकते उनके लिए भी सुबह रोशनी में रहना जरूरी है ताकि दिमाग को दिन और रात का सही अंदाजा हो सके और शरीर में बाकी काम उसी हिसाब से किए जा सकें।

लेकिन क्या हो अगर हमें बाकायदा सुबह सूरज की रोशनी न मिले। या फिर अगर हम लंबे समय तक बिना सन लाइट के रहें तो? आज दुनिया भर के मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि सन लाइट का हमारे मूड पर भी असर पड़ता है।

जिसकी वजह से कुछ लोगों में सर्दियों में डिप्रेशन के लक्षण देखे जा सकते हैं। इसे विंटर डिप्रेशन या सीजनल इफेक्टिव डिसॉर्डर कहते हैं। तो आइए आज जानते हैं कि मौसम के साथ आने वाली इस उदासी से कैसे बचा जा सकता है।

इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए, लोगों को सही आहार, पूर्ण नींद, नियमित व्यायाम और सोशल अनुष्ठान का पालन करना चाहिए।

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