धर्म कर्मव्रत त्योहार

क्रिसमिस का विरोध करने से पहले ये पढ़ लेना: आशीष लावट

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है किसी भी धर्म के खिलाफ भेदभाव नहीं करना चाहिए।

क्रिसमिस का विरोध करने से पहले ये पढ़ लेना ?

एक नागरिक होते हुए देख रहा हूं कि आजकल हमारे देश में कुछ लोग क्रिसमिस का विरोध कर रहे है जबकि वो भूल रहे है कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है। इस देश में दीवाली और होली की तरह क्रिसमिस की भी छुट्टी होती है। स्कूलों में जैसे दीवाली, होली, राखी, गुरपुरब का त्योहार मनाया जाता है वैसे ही क्रिसमिस का त्योहार भी तो मनाया जाता है। हम भी तो छोटे होते स्कूल में क्रिसमस मनाते थे तो अब फिर ये नफरत कहां से आ गई ?

हमारे देश के बच्चे अमरीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, जर्मनी, न्यूजीलैंड जैसे देशों में जाकर पढ़ते है, काम करते है, पीआर लेते है, वहां के नागरिक बनते है तो क्या यही विरोध वहां जाकर कर सकते है वो ? अगर वहां के अंग्रेज हमारे बच्चो या देशवालों को उनका दीवाली या अन्य त्योहार न मनाने दें तो क्या वो कुछ कर पाएंगे ? ये सवाल मैं उस दौर में पूछ रहा हूं जिस दौर में अमरीका के अंदर दीवाली धूमधाम से मनाई जाती है लेकिन हमारे देश में क्रिसमिस का विरोध शुरू हो गया है ?

मेरी बात का यकीन ना हो तो गूगल करके देखिए कि कैसे इन देशों में भारत के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते है लेकिन हमारे देश के एक वर्ग के दिमाग में गोबर जैसा जहर भर दिया गया है। लेकिन सवाल है कि ये घटिया और जहरीली सोच कौन लेकर आया है ? क्या सीखा रहें है हम अपने बच्चो को ? मैं ये नहीं समझ पा रहा हूं कि जो आज क्रिसमिस का विरोध कर रहे है वो बचपन में अपने स्कूल में क्रिसमिस क्यों मनाते थे ?
जब उनके बच्चे पूछेंगे कि हमारे स्कूल में क्रिसमिस का त्योहार मनाने से मना कर रहे है तो उन बच्चो के दिमाग में क्या सोच आ रही होगी ? ये जहरीली और घटिया सोच हम नहीं हमारे नेताओं ने हमारे दिमाग में भरी है क्योंकि वो जानते है कि उन्होंने हमारे लिए ऐसा कुछ नहीं किया कि हम उन्हें पसंद करें इसलिए ये नफरत हमारे दिमाग में भर रहे है क्योंकि उनके लिए ये भी किसी उपलब्धि से कम नहीं है।

जो लोग क्रिसमिस का विरोध कर रहे है वो 25 दिसंबर को सरकारी छुट्टी लेने से मना करेंगे ? क्या वो 25 दिसंबर को छुट्टी के बावजूद अपने बच्चो को स्कूल भेजेंगे ? क्या वो ईसाइयों के विरोध के चलते ये कसम खाएंगे कि वो अपने बच्चो को विदेश पढ़ने या नौकरी के लिए नहीं भेजेंगे ? जवाब सबको पता है लेकिन बोलेगा कोई नहीं ? डूब मरो ऐसी सोच रखने वालों ? देश की महंगाई और बेरोजगारी पर जिनकी आवाज नहीं निकलती वो क्रिसमिस पर धर्म के ठेकेदार बनकर लोगो को धमका रहे है ? ये वो लोग है जो अपने धर्म और अपने ईश्वर की किसी बात का पूरी तरह पालन नहीं करते, सारा दिन झूठ, फरेब, लूट, ठगी का सहारा लेकर अपना जीवन बताते…..

आशीष लावट,शिक्षक, हिसार

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