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रैट होल माइनिंग तकनीक के जरिए उत्तरकाशी की सुरंग से 41 मजदूरों को निकाला जा रहा बाहर

पिछले 16 दिन से फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए रैट होल माइनिंग तकनीक से ड्रिलिंग की जा रही है।

सिलक्यारा सुरंग में बचावकर्मियों ने 50 मीटर की दूरी को पार कर लिया है और पिछले 16 दिन से फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए रैट होल माइनिंग तकनीक से ड्रिलिंग की जा रही है। मजदूरों को कुछ ही समय में बाहर निकाल लिया जाएगा। तेजी से रैट माइनिंग के जरिए मजदूरों तक पहुंचने की कवायद जारी है। मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने के लिए 12 रैट होल माइनिंग विशेषज्ञों को लगाया गया है

 

रैट होल माइनिंग से पहले मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एक भारी और शक्तिशाली 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन से सुरंग में क्षैतिज ड्रिलिंग की जा रही थी। हालांकि शुक्रवार को इस मशीन का बड़ा हिस्सा मलबे में फंस गया था, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में रुकावट आ गई थी। रेस्क्यू ऑपरेशन कितनी जल्दी पूरा होगा ये मौसम और मलबा साफ करने के रास्ते में आने वाली अड़चनों पर आधारित है।

 

वहीं जब भारी मशीनें भी रेस्क्यू ऑपरेशन में फेल हो गई तो रैट माइनर्स के जरिए खुदाई होने लगी है। ये चूहे की तरह की काम करते है। रैट माइनर्स की खासियत है कि ये चूहे की तरह कम जगह में तेज खुदाई करते है। इन रैट माइनर्स की टीम के भरोसे ही 41 मजदूरों का जीवन है। बता दें कि ये रैट माइनर्स साबल, हथौड़ा और खुदाई करने वाले कई अहम टूल्स के जरिए खुदाई कर रहे है। इनके द्वारा खुदाई की तकनीक इतनी बेहतरीन है कि ये कम समय में जल्दी खुदाई करने में सक्षम है।

 

जानकारी के मुताबिक रैट माइनर्स टनल की ड्रिलिंग को मैन्युअली अंजाम दे रहे है। इस तकनीक के जरिए काम करने के लिए कुल 12 एक्सपर्ट्स की टीमें जुटी हुई है। ये टीम रोटेशन के आधार पर काम कर रही है। खबर लिखे जाने तक सिर्फ तीन मीटर की खुदाई का काम ही शेष बचा है।

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