हरियाणा

चहेतों को सूचना आयुक्त नियुक्त कर सूचना का अधिकार कानून को कमजोर बना रही सरकार : आरटीआई एक्टिविस्ट

एंटिक ट्रुथ | हिसार

फ्रेंड्स कालोनी निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट एवं व्हिसल ब्लोअर अजीत ग्रोवर ने कहा कि राज्य में हाल ही में तीन नए सूचना आयुक्तों को नियुक्त किया गया है जिनमें सरकार ने अपने चहेतों एवं जाति विशेष के लोगों को तरजीह दी है इससे जाहिर होता है कि सरकार आरटीआई कानून को कमजोर करने का काम कर रही है। इन सूचना आयुक्तों में जगबीर सिंह, प्रदीप कुमार शेखावत एवं डॉ. कुलबीर छिकारा शामिल हैं। इनमें से जगबीर सिंह व प्रदीप कुमार राजनीतिक पृष्ठभूमिक हैं जबकि कुलबीर छिकारा एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र से हैं। अजीत ग्रोवर ने कहा कि लगभग 108 अभ्यर्थियों ने सूचना आयुक्त हेतु आवदेन किया जिसमें 9 अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया गया जिसमें बाद में तीन जाति विशेष के व्यक्तियों को ही सूचना आयुक्त लगाया गया। यह भी ज्ञात रहे कि सूचना आयुक्त का मासिक वेतन 2,65,000 रुपये है।
ग्रोवर ने बताया कि सूचना आयुक्त प्रदीप कुमार शेखावत ने गत माह ही कार्य भार ग्रहण किया है और आरटीआई एक्ट को लेकर उनकी कार्य प्रणाली अभी से सवालों के घेरे में है। ग्रोवर ने बताया कि उन्होंने एक सूचना एक्ट के तहत मांगी थी, मांगी गई यह सूचना मुझे 6.3.2024 को दी गई दर्शाई गई जबकि वह सूचना 11.3.2024 को उनके निवास पर दस्ती दी गई और 7-8 महीने देरी से दी गई सूचना पर कार्यवाही न करते हुए सूचना आयुक्त द्वारा लिखा गया कि प्रोसीजरल कारणों से सूचना देने में देरी हुई है जो सूचना आयुक्त का पूर्णत: अनुचित निर्णय है। ग्रोवर ने कहा कि जिस प्रकार से आवेदनकर्ताओं को सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाई जा रही, देरी पर देरी की जा रही है और उनकी कोई सुनवाई नहीं उससे साबित होता है कि सरकार सूचना का अधिकार कानून को पंगू बनाने की कोशिश कर रही है। सरकार ने 9 अभ्यर्थियों में से किसी भी रिटायर्ड आईएएस, आईपीसी अफसर का चयन नहीं करके तथा अपने तीन चहेतों को नियुक्त करके सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की गरिमा को तार-तार करने का काम किया है। इस परकार की राजनीति देश को किस दिशा में ले कर जायेगी यह निर्णय जनता पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि न केवल राज्य बल्कि केंद्र में भी जिस प्रकार से जन भावनाओं को दरकिनार करते हुए तानाशाहीपूर्ण फैसले लिए जा रहे हैं उससे ऐसा लग रहा है कि भविष्य में देश में पूर्ण तानाशही चलेगी आगे चुनाव होने ही नहीं दिए जाएंगे।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button