एंटिक ट्रुथ | हिसार
जीवन में कठिन चुनौतियों के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट बने सीए मुकेश सिंह राजपूत विशेष विजिट पर पारस इंस्टीट्यूट पहुंचे जहां उन्होंने इंस्टीट्यूट के छात्रों को संबोधित कर मोटिवेट किया। मुकेश सिंह राजपूत पेशे से सीए हैं। सीए बनने से पहले उनका बेहद कठिनाओं से भरा एवं चुनौतिपूर्ण था इसके बावजूद उन्होंने अपनी सारी पढ़ाई पूरी की और सी.ए. जैसे सम्मानित करियर तक पहुंचे। उन्होंने अपना पूरा बचपन घर-परिवार से दूर होटलों और दुकानों में काम करते हुए बिताया लेकिन जीवन में कुछ नया करने के दृढ़ निश्चय ने अपनी पढ़ाई के जरिए अपने लक्ष्य हासिल किया और सीए की पेशेवर डिग्री प्राप्त करने के बाद ही आराम किया। वर्तमान में वे सी.ए. के साथ मोटिवेटर और लेखक भी हैं।
मुकेश सिंह सीए ने बताया कि सीए बनने से पहले उनके जीवन का पूरा सफर मुश्किलों भरा रहा। पांचवीं कक्षा के बाद की पढ़ाई पूरी तरह छूट गई। पूरा बचपन परिवार से दूर होटल, रेस्टोरेंट और ढाबों में काम करते हुए बीता। एक दिन होटल में बर्तन धो रहा था, तभी किसी ने मुझे एक किताब दी और कहा कि इसमें बहुत ताकत है और इससे तुम अपने सपने पूरे कर सकते हो, समाज में तुम्हें जगह और पहचान मिलेगी। बस फिर क्या था, मेरे मन में कुछ बनने की ललक जागी। पांचवीं क्लास के बाद छूटी पढ़ाई को फिर शुरू किया, 10वीं क्लास से सीधे ओपन स्कूल कॉरेस्पोंडेंस कोर्स का प्राइवेट फॉर्म भरा। लगातार तीन बार फेल भी हुए, लेकिन हार नहीं मानी और चौथी बार में 10वीं पास कर ली और जिंदगी को नई दिशा तब मिली, जब लोडिंग ऑटो की नौकरी के दौरान आर.के. वार्स प्राइवेट लिमिटेड, भोपाल ने अकाउंट बुक और दस्तावेज सीए मनोज खरे के कार्यालय में भेजे और वहां उन्होंने पहली बार किसी सीए को देखा और स्वयं सीए बनने का सपना देखा और वर्ष 2001 में सीए बनने का सफर शुरू किया। सीए-आईपीसीसी के पहले ग्रुप में लगातार छह बार असफलता भी मिली, लेकिन फिर भी हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करते हुए वर्ष 2010 में चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गए, वर्तमान में भोपाल म.प्र. में प्रैक्टिस कर रहे है।
मुकेश सिंह ने बताया कि इसके साथ-साथ उन्हें देश व समाज की सेवा करने और लिखने का भी शौक है। वर्ष 2012 में एक क्लाइंट ने उन्हें प्रेरित किया कि उनका जीवन बहुत संघर्षपूर्ण रहा है, ऐसे ही छात्रों के लिए कुछ करो तो तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने ‘सीए पास द रियल स्टोरी’ नामक पुस्तक लिखी, जिसका विमोचन 1 जुलाई 2015 सीए दिवस पर किया गया। मुकेश राजपूत ने बताया कि वर्ष 2015 में उन्होंने एक मिशन बनाया ‘शिक्षित विश्व-सफल विश्व’ ‘एज्युकेटिड वल्र्ड-सक्सेस वल्र्ड’ जिसके लिए विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए मोटिवेट एवं करियर हेतु काउंसलिंग की जाती है।
मुकेश राजपूत ने स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा कि जिन विद्यार्थियों को थोड़ी सी असफलता मिलती है तो वे सोचने लगते हैं कि अब जीने से क्या होगा और वे आत्महत्या के बारे में सोचने लगते हैं या सोचते हैं कि शिक्षा उनके बस की बात नहीं है, क्योंकि हम गरीब हैं, ऐसे बहाने बनाकर किस्मत के भरोसे बैठे रहते हैं। सीए मुकेश राजपूत ने अपनी वास्तविक कहानी बताते हैं विद्यार्थियों को मोटिवेट करते हैं और उनमें खोई हुई उम्मीद को जगाते हैं और जैसे ही युवाओं को पता चलता है कि मैं खुद 5वीं कक्षा के बाद पूरी तरह से पढ़ाई से दूर हो गया था उसके बाद पढ़ाई के महत्व को समझते हुए न केवल आगे की पढ़ाई की बल्कि एक सफल सीए बने और फर्श से अर्श तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि जब वे इतनी विपरीत हालात में सी.ए. बन सकते हैं तो सभी ऐसा कर सकते हैं जरूरत है सच्ची, मेहनत, लगन और दृढ़ इच्छा शक्ति की।
उन्होंने कहा कि ‘हम क्यों न करें…?’ इसे जगाना ही मेरा मिशन है। अगर हम छात्रों के अंदर सोए हुए सपने को जगा दें तो वह आगे का सफर खुद ही तय कर लेगा, उसे किसी सहारे की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि उन्होंने बुरे समय को देखा है इसलिए वे जरूरतमंद व मेहनती छात्रों को न केवल शिक्षा के लिए प्रेरित करते हैं बल्कि उन्हें अपने स्तर पर नि:शुल्क शिक्षा भी उपलब्ध करवाते हैं। सीए मुकेश राजपूत और उनकी सहयोगी सीए माया तिलवानी जरूरतमंद छात्रों को अपने कार्यालय में ही टैली अकाउंटिंग, आयकर, बिक्री कर और वर्तमान में जीएसटी का व्यावसायिक प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसके लिए छात्रों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है, अब तक 1000 से अधिक छात्रों को सफल एकाउंटेंट बनाया गया है जो आज विभिन्न कंपनियों में अच्छी तनख्वाह पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सीए मुकेश राजपूत 2015 से पूरे भारत में छात्रों को प्रेरणा दे रहे हैं और ‘कॉमर्स में करियर’ पर सेमिनार दे रहे हैं। अब तक 9 राज्यों में 71 फिजिकल सेमिनार और 21 ऑनलाइन सेमिनार दे चुके हैं जिसके तहत फिजिकल सेमिनार में 85,000 और ऑनलाइन 1,60,000 छात्रों को शिक्षा और करियर परामर्श के लिए प्रेरित किया गया है। उन्होंने सीए के छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि जब मैं सी.ए. बन सकता हूं तो कोई भी सी.ए. बन सकता है इसलिए किसी भी परिस्थिति में अपने कदम पीछे ने खींचे और निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें कामयाबी जरूर मिलेगी।
पारस इंस्टीट्यूट के छात्रों ने सांझा किए सी.ए. मुकेश राजपूत के साथ बिताए पलों के अनुभव
छात्रा सुहानी ने बताया कि मुकेश राजपूत सर ने सी.ए. कोर्स को लेकर हमें बहुत इंस्पायर किया। उन्होंने सभी स्टूडेंट्स को मेमोरी टेक्निक्स, पेपर प्रिपेरेशन सहित अन्य बातों की जानकारी दी। उन्होंने काफी इंटरेस्टिंग फैक्ट्स को शेयर किया जो सी.ए. स्टूडेंट को काफी हेल्प कर सकते हैं। मैं पारस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर्स को उन्हें इंस्टीट्यूट में बुलाने के लिए धन्यवाद देती हूं।
छात्र अर्जुन ने कहा कि मुकेश राजपूत सर का जीवन प्रेरणादायक है। उनसे हमें सीखने का मिलता है कि यदि हममें कुछ करने का जुनून हो तो कैसे भी हालात हमारा रास्ता नहीं रोक सकते। यदि इंसान ठान ले तो वह बड़ी से बड़ी चुनौतिपढऩे और आगे के लिए प्रेरित कर रहे हैं और देश व समाज की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं। वे चाहते तो सी.ए. बनने और अच्छा करियर पाने के बाद वहीं रुक सकते थे लेकिन उनका आगे बढऩे का सफर आज भी जारी है। उनसे प्रेरणा मिलती है कि किसी मुकाम पर पहुंचकर हमें रुकना नहीं है बल्कि आगे बढ़ते जाना है।
पारस में कार्यरत्त स्टाफ बिन्दू ने कहा कि उन्हें राजपूत सर द्वारा कही गई यह बात बहुत प्रेरणादायक लगी कि ‘चलते रहना-चलते रहना।’ जीवन में हार-जीत चलती रहती है लेकिन सफल इंसान वो है जो किसी भी हालात में रुकता नहीं है और अपने लक्ष्य की ओर चलता रहता है। उनकी इस बात से हमें हर परिस्थिति में आगे बढ़ते की प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि हर समय खुद में कमियां ही न ढूंढते रहें यदि हम अपने अंदर अच्छाईयों को ढूंढना शुरू करेंगे तो हमें अपने आप में बहुत अच्छाइयां नजर आएंगी। उसके लिए हमें खुद की प्रशंसा भी करनी चाहिए। इस सेमिनार से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला जो बच्चों को सी.ए. के साथ-साथ असल जिंदगी में भी आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता रहेगा।