एंटिक ट्रुथ | हिसार:
एमआईएस पोर्टल पंजीकृत प्राइवेट स्कूल संघ हरियाणा अध्यक्ष अनिल शर्मा सातरोडिय़ा ने कहा कि पूरे हरियाणा प्रदेश में पिछले कई सालों से सिर्फ और सिर्फ एमआईएस पोर्टल पर पंजीकृत हजारों की संख्या में पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक स्कूल कार्यरत हैं, तथा इन सभी स्कूलों को प्राथमिक शिक्षा निदेशालय हरियाणा द्वारा डिपार्टमेंटल स्कूल कोड भी अलॉट किया हुआ है। सरकार इन सभी स्कूलों को 2003 नियमावली के तहत नियमों में छूट देकर छात्रों का भविष्य सुरक्षित करे।
इन स्कूलों में पढऩे वाले छात्र, एमआईएस पोर्टल एवं यू डाइस पोर्टल पर पंजीकृत हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी स्कूल संचालकों के द्वारा यू डाइस कोड के साथ अपने स्कूल बारे संपूर्ण जानकारी प्रति वर्ष विभागीय वेबसाइट पर ऑनलाइन की जाती है और जिला खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा स्कूल से संबंधित मांगी गई किसी भी तरह की जानकारी समय-समय पर स्कूल संचालकों द्वारा संबंधित कार्यालय में जमा करवा दी जाती है।
इस सबके बावजूद भी शिक्षा बोर्ड भिवानी (शिक्षा विभाग, हरियाणा) के द्वारा इस श्रेणी के सभी स्कूलों को गैर मान्यता श्रेणी में रखा गया है जिसके कारण इन स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों का भविष्य हमेशा संशय युक्त रहता है।
अनिल शर्मा ने बताया कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा महानिदेशक प्राथमिक शिक्षा हरियाणा, पंचकूला) को एक पत्र, पत्र क्रमांक 4153/एनरोलमेंट/संबद्धता दिनांक 18 फरवरी 2022 को जारी करते हुए निदेशक महोदय से अनुरोध किया गया था की हरियाणा भर में यू डाइस पोर्टल पर कार्यरत पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक चल रहे स्कूलों की कोई ऐसी श्रेणी बनाई जाए जिसके अंतर्गत शिक्षा बोर्ड भिवानी, हरियाणा भी इन सभी स्कूलों को किसी विशेष श्रेणी में ले सके लेकिन प्राथमिक शिक्षा निदेशालय हरियाणा (पंचकूला) के द्वारा आज तक इस बारे किसी भी तरह का निर्णय नहीं लिया गया।
उन्होंने बताया कि उपरोक्त श्रेणी के स्कूलों में जिला खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा बार-बार छापे मारी करते हुए स्कूल संचालकों को नोटिस देकर स्कूल बंद करने की धमकी दी जाती है। सातरोडिय़ा ने कहा कि सरकार पूरे हरियाणा प्रदेश में चल रहे उपरोक्त श्रेणी के सभी स्कूलों को 2003 की नियमावली सूची में रखते हुए मान्यता लेने हेतु बनाए गए नियमों में छूट देकर हरियाणा भर के सभी स्कूलों को स्थाई मान्यता की सूची में लाने का काम करे ताकि इन स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो सके।