योग्य व्यक्ति के हाथ में सत्ता आती है तो लोकतंत्र को बल मिलता है : मुनिश्री पृथ्वीराज
राजनीति की शुद्धता-अशुद्धता की जिम्मेवारी राजनेता की : मुनिश्री पृथ्वीराज
एंटिक ट्रुथ | हिसार
तपोमूर्ति मुनिश्री पृथ्वीराज जासोल के सानिध्य में आज मॉडल स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अणुव्रत समिति द्वारा ‘चुनाव शुद्धि अभियान’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने की। छात्रों को संबोधित करते हुए मुनिश्री पृथ्वी राज ने कहा कि मानवीय एकात के सजग प्रहरी आचार्य तुलसी ही थे। मानवीय एकता के बाधक तत्व हैं राष्ट्रवाद एवं साम्प्रदायिकता। अणुव्रत ने राष्ट्रीय कट्टरता, साम्प्रदायिक कट्टरता की सीमा को लांघकर मानवीय एकता का संदेश जन-जन तक पहुंचाया है। अणुव्रत आंदोलन का लक्ष्य है नैतिकता की प्रतिष्ठा।
मुनिश्री ने कहा कि चरित्र निर्माण की प्रक्रिया नैतिकता को जन्म देती है। अणुव्रत का दृष्टिकोण मानवीय मूल्यों की स्थापना, मानसिक संतुलन, अणुव्रत उपेदश नहीं है बल्कि उपचार है। यह मनुष्य का रक्षक है और इससे नई चेतना जागृत होती है। मानव के चरित्र का कारखाना है। अणुव्रत के माध्यम से हमारा राष्ट्र व राजनीति उन्नत बन सकते हैं। उन्नत राष्ट्र का संकल्प करें। देश में नैतिक गरीबी न रहे। खाद्य पदार्थों में मिलावट न हो। मादक पदार्थ का सेवन न हो, कोई रिश्वत लेने वाला न हो, कोई शोषण करने वाला न हो, धार्मिक क्षेत्र में संघर्ष न हो, अस्पृश्य, जातिवाद, दहेज समाज से दूर होकर मानवीय एकता की प्रतिष्ठा हो। इस प्रकार संकल्प करें तो हमारा लोकतंत्र सुदृढ़ बन सकता है। दृष्टिकोण समयक होना चाहिए। राजनीति में धर्मिनीति आ सकती है।
मुनिश्री पृथ्वीराज ने कहा कि राजनीति की शुद्धता-अशुद्धता की जिम्मेवारी राजनेता की है, उतना ही जनता भी जिम्मेवार है। दोनों पक्ष में जागरुकता नहीं आएगी तब तक इस दिशा में सफलता नहीं मिल सकती है। आदर्श राजनेता वह होता है जिसकी जन-जन में सेवा की भावना होती है। राजनेता का लक्ष्य सत्ता सुख भोगना नहीं बल्कि जनसेवा का होना चाहिए। लोकतंत्र में जब तक लोक जागृत नहीं होता, जन जन में नैतिक चेतना की लहर पैदा नहीं होती, अनैतिकता के प्रति बगावत करने का साहस नहीं होता, तब तक तंत्र स्वस्थ नहीं बन सकता। अणुव्रत जन-जन की चेतना को जगाकर लोकतंत्र भी श्रेष्ठता को स्थापित करना चाहता है। लोकतंत्र को अपराधीकरण से बचाने का यही अमोघ उपक्रम है। चुनाव लोकतंत्र की रीढ़ है। रीढ़ ही बीमार हो जाए तो तंत्र स्वस्थ कैसे रह सकता है। चुनाव प्रक्रिया जितनी विशुद्ध होगी उतना ही लोकतंत्र भी स्वस्थ होगा। आज राजनीतिक दलों की टिकट पाने की जितनी उत्सुकता है, उतनी उत्सुकता यदि अर्हता पाने की हो जाए तो लोकतंत्र का रूप ही निखर जाए।
उन्होंने कहा कि समुद्र कब याचना करता है कि नदियां उसमें आकर मिले। वो स्वयं चलकर आती हैं। वैसे ही योग्य व्यक्ति के हाथों में सत्ता आती है तो लोकतंत्र को बल मिलता है। अणुव्रत ने चुनाव के संबंध में एक नैतिक आचार संहिता प्रस्तुत करते हुए मतदाताओं और प्रत्याशियों को संबोधित किया है।
कार्यक्रम में स्कूल की ओर से प्रिंसिपल प्रताप सिंह, प्रवीण कुमार, रचना, सुनीता कुमारी, कमलदीप, सरोज, रजनी, बिीता, दीपाल, मनो,ज गीता वीना सहित लगभग1500 छात्र मौजूद रहे। इसके अलावा समिति अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल, दर्शन लाल शर्मा, सतपाल शर्मा, इन्द्रेश पांडे, अनिल जैन, राजकुमार सोनी आदि उपस्थित रहे। समिति की ओर से स्कूल प्राचार्य को अणुव्रत पटका व साहित्य भेंट कर सम्मानित किया गया।